नवरात्री माँ दुर्गा के ९ रूपों के नाम हिंदी में - मंत्र, आरती सहित
नवरात्री का त्यौहार भारत के महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह माँ दुर्गा का महापर्व है। इस त्यौहार में माँ दुर्गा के नौ रूपों के पूजा अर्चना की जाती है और भारत के अलग अलग हिस्सों में इसे विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। साल २०२१ में नवरात्री का पर्व ७ अक्टूबर से शुरू हो रहा है और १५ अक्टूबर को इसका समापन हो रहा है। यहाँ माँ दुर्गा के नौ रूपों के नाम, मंत्र और आरती का उल्लेख किया गया है।
Listen महिषासुरमर्दिनि स्तोत्र "अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि" and माँ दुर्गा की आरती - ॐ जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी with lyrics.
1) माँ शैलपुत्री
नवरात्री के पहले दिन माँ दुर्गा के स्वरुप माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल होता है। माँ शैलपुत्री अपने वाहन वृषभ पे विराजमान हैं इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है और इनसे हमें आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है।
माँ शैलपुत्री मंत्र - वन्दे वाञ्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम, वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनी।
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2) माँ ब्रह्मचारिणी
नवरात्री में माँ दुर्गा के दूसरे स्वरुप को माँ ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है ब्रह्म अथवा तप का आचरण करने वाली। माँ के भव्य स्वरुप को देखिये, इनके बाएं हाथ में कमंडल और दाएं हाथ में जपमाला है। नवरात्री के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है जो हमें सत चित आनंदमय ब्रह्म की प्राप्ति कराती हैं और संयम में वृद्धि करती हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र -
दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू, देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।
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3) माँ चंद्रघंटा
नवरात्री के तीसरे दिन माँ दुर्गा के तीसरे रूप माँ चंद्रघंटा की उपासना की जाती है। माँ के मस्तक पर घंटे के अकार का अर्धचंद्र है और इसी वजह से इन्हें माँ चंद्रघंटा कहा जाता है। इनका वाहन सिंह है और इनका स्वरुप सुनहरा, भव्य और कल्याणकारी है। इनके १० हाथ हैं जो विभिन्न प्रकार के शस्त्र और शक्ति से सुशोभित है। इनके हाथों में कमल का फूल, कमंडल, त्रिशूल, गदा, तलवार, धनुष और बाण हैं। इसके अलावा एक हाथ आशीर्वाद मुद्रा में है, एक हाथ ह्रदय पर और एक हाथ अभय मुद्रा में है। माँ चंद्रघंटा की आराधना से अहंकार का नाश होता है और परम पद व सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
माँ चंद्रघंटा मंत्र -
पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता, प्रसादम तनुते मह्यां चन्द्रघण्टेति विश्रुता।
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4) माँ कूष्मांडा
माँ दुर्गा के ९ रूपों में से उनका चौथा स्वरुप है माँ कूष्मांडा जिनकी नवरात्री के चौथे दिन पूजा की जाती है। इस ब्रह्मांड को एक छोटे ब्रह्मांडीय अंडे के रूप में उत्पन्न करने के कारन इनका नाम कूष्मांडा पड़ा। माँ कूष्मांडा के आठ हाथ हैं जिनमें उन्होंने कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, चक्र, गदा, अमृतकलश और जपमाला धारण किया हुआ है। इनका तेज सूर्य के समान है और इनका वाहन बाघ है। माँ कूष्मांडा की उपासना से यश, आयु और निरोग का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माँ के भीतर समस्त संसार का सृजन समाया हुआ है।
माँ कूष्मांडा मंत्र -
सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च, दधाना हस्तपद्माभ्यां,कूष्मांडा शुभदास्तु मे।
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5) माँ स्कंदमाता
नवरात्री के पांचवे दिन माँ दुर्गा के स्वरुप माँ स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है। स्कन्द यानि भगवान कार्तिकेय की माता होने के कारण इनका नाम स्कंदमाता पड़ा है। माँ स्कंदमाता अपने वाहन सिंह पर सवार हैं और इन्होंने अपने पुत्र भगवान कार्तिकेय को अपनी गोंद में बिठाया हुआ है। इस स्वरुप में माँ की चार भुजाएं हैं जिसमे से २ भुजाओं में माँ ने कमल का फूल धारण किया है, एक हाथ से भगवान कार्तिकेय को पकड़ कर गोंद में बिठाया हुआ है और बाकी एक हाथ से भक्तों को आशीर्वाद दे रही हैं। माँ स्कंदमाता कौशल, करुणा और सहस का प्रतीक हैं। माता की उपासना से अच्छी सेहत, बुद्धिमत्ता, चेतना, रोगमुक्ति और संतान की प्राप्ति होती है।
माँ स्कंदमाता मंत्र-
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया, शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।
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6) माँ कात्यायनी
माँ दुर्गा का छठा स्वरुप है माँ कात्यायनी। ऋषि कात्यायन ने माँ दुर्गा की तपस्या करके उनसे वरदान में उन्हें उनकी पुत्री रूप में पाने की इच्छा प्रकट की और इस तरह से ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा। माँ सिंह पर सवार हैं और इनकी चार भुजाएं हैं। एक हाथ में तलवार और दूसरे में कमल का फूल है। तीसरा हाथ अभय मुद्रा में है और चौथा हाथ आशीर्वाद मुद्रा में है। माँ की आराधना करने से रोग, शोक, संताप, कष्ट, भय, शत्रुबाधा और पाप सभी नष्ट हो जाते हैं।
माँ कात्यायनी मंत्र -
चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना, कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनी।
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7) माँ कालरात्रि
माँ दुर्गा का सातवां स्वरुप है माँ कालरात्रि जिन्हे नवरात्रि का सातवां दिन समर्पित है। अँधेरे की तरह माँ कालरात्रि का शरीर एकदम काले रंग का है। इनके तीन नेत्र हैं और बाल बिखरे हुए हैं। गले में जो माला सुशोभित है वह विद्युत् समान चमकीला है। इनका स्वरुप देखने में काफी भयानक लगता है लेकिन माँ भक्तों को शुभफल प्रदान करती हैं और इन्हें माँ शुभंकरी भी कहा जाता है। इनके चार हाथ हैं। दो हाथों में शस्त्र हैं और बाकी दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में है। माँ कालरात्रि का वाहन गधा है। माँ नकारात्मक और राक्षसी प्रवृत्तियों का नाश करती हैं, भय को दूर करती हैं और भक्तों को हर बाधा से बचाती हैं।
माँ कालरात्रि मंत्र -
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
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8) माँ महागौरी
नवरात्री के आठवे दिन माँ दुर्गा के अष्टम रूप माँ महागौरी की पूजा की जाती है। माँ महागौरी का स्वरुप श्वेत होता है, उनके वस्त्र, आभूषण और वाहन वृषभ सब सफ़ेद रंग के होते हैं इसलिए इन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है। माँ की चार भुजाये हैं। एक हाथ में डमरू, एक हाथ में त्रिशूल, एक हाथ अभय मुद्रा और एक हाथ वरमुद्रा में है। माँ महागौरी सफलता की राह दिखती हैं और स्त्रियों को हमेशा सौभाग्यशाली रहने का वरदान देती हैं।
माँ महागौरी मंत्र -
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः, महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।
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9) माँ सिद्धिदात्री
माँ दुर्गा का नौवा स्वरुप हैं माँ सिद्धिदात्री। सिद्धिदात्री यानि सिद्धियों को देने वाली। नवरात्री के नौवे दिन माँ सिद्धिदात्री कि पूजा होती है और फिर हवन किया जाता है।इनकी चार भुजाये हैं जिसमे से दो में शस्त्र गदा और चक्र हैं और बाकी दो में शंख और कमल का फूल है। माँ सिद्धिदात्री शक्ति व सिद्धि की देवी हैं जिनकी कृपा से भक्तों के लिए सब कुछ पाना संभव हो जाता है। माँ का वाहन सिंह है और यह कमल के फूल पर भी स्थित होती हैं।
माँ सिद्धिदात्री मंत्र -
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि, सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
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