माँ कूष्मांडा मंत्र और आरती Lyrics in हिंदी with mp3
माँ दुर्गा के ९ रूपों में से उनका चौथा स्वरुप है माँ कूष्मांडा जिनकी नवरात्री के चौथे दिन पूजा की जाती है। इस ब्रह्मांड को एक छोटे ब्रह्मांडीय अंडे के रूप में उत्पन्न करने के कारन इनका नाम कूष्मांडा पड़ा। माँ कूष्मांडा के आठ हाथ हैं जिनमें उन्होंने कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, चक्र, गदा, अमृतकलश और जपमाला धारण किया हुआ है। इनका तेज सूर्य के समान है और इनका वाहन बाघ है। माँ कूष्मांडा की उपासना से यश, आयु और निरोग का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माँ के भीतर समस्त संसार का सृजन समाया हुआ है।
माँ कूष्मांडा मंत्र -
सुरासंपूर्णकलशं,रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां,कूष्मांडा शुभदास्तु मे।।
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माँ कूष्मांडा की आरती lyrics
चौथा जब नवरात्र हो कूष्मांडा को ध्यावे,
जिसने रचा ब्रह्माण्ड ये भोजन है करवाते।
आदिशक्ति कहते जिन्हें अष्टभुजी है रूप,
इस शक्ति के तेज से कहीं छाँव कहीं धूप।
कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार,
मीठे से भी रीझती सात्विक करे विचार।
क्रोधित जब हो जाये ये उल्टा करे व्यवहार,
उसको रखती दूर माँ पीड़ा देती अपार।
सूर्य चंद्र की रौशनी ये जग में फैलाये,
शरण आपकी मैं आया तू ही राह दिखाए।
नवरात्रों की माँ, कृपा कर दो माँ।
नवरात्रों की माँ, कृपा कर दो माँ।
जय माँ कूष्मांडा मैया, जय माँ कूष्मांडा मैया।
मुख पर अद्भुत तेज प्रभा है हे माता कूष्मांडा,
इस ब्रह्माण्ड की रचना तुझसे तुझसे सूर्य की ऊष्मा,
हे माँ तुझसे सूर्य की ऊष्मा।
यह भी देखें, नवरात्री के पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की आरती।
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