माँ चंद्रघंटा मंत्र और आरती Lyrics in हिंदी with mp3
नवरात्री के तीसरे दिन माँ दुर्गा के तीसरे रूप माँ चंद्रघंटा की उपासना की जाती है। माँ के मस्तक पर घंटे के अकार का अर्धचंद्र है और इसी वजह से इन्हें माँ चंद्रघंटा कहा जाता है। इनका वाहन सिंह है और इनका स्वरुप सुनहरा, भव्य और कल्याणकारी है। इनके १० हाथ हैं जो विभिन्न प्रकार के शस्त्र और शक्ति से सुशोभित है। इनके हाथों में कमल का फूल, कमंडल, त्रिशूल, गदा, तलवार, धनुष और बाण हैं। इसके अलावा एक हाथ आशीर्वाद मुद्रा में है, एक हाथ ह्रदय पर और एक हाथ अभय मुद्रा में है। माँ चंद्रघंटा की आराधना से अहंकार का नाश होता है और परम पद व सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
माँ चंद्रघंटा मंत्र -
पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता, प्रसादम तनुते मह्यां चन्द्रघण्टेति विश्रुता।
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चंद्रघंटा माता की आरती lyrics
नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान,
मस्तक पर है अर्ध चन्द्र, मंद मंद मुस्कान।
दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बाण,
घंटे के झनकार से हरती दुष्ट के प्राण।
सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके स्वर्ण शरीर,
करती विपदा शान्ति हरो भक्त की पीर।
मधुर वाणी को बोल कर सब को देती ज्ञान,
जितने देवी देवता सभी करें सम्मान।
अपने शांत सवभाव से सबका करती ध्यान,
भव सागर में फसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण।
नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
जय माँ चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा।
जय माँ चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा।
शीशचंद्र और रूप अलौकिक हे माँ चंद्रघंटा,
घंट के नाद से पाप विनाशे,
हरती सारी विपदा, हे माँ हरती सारी विपदा।
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