रहीम के दोहे in हिंदी - lyrics and mp3
रहीम के दोहे - "रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय" को पहले भी हमने पोस्ट किया है और आज हम उसी को आगे बढ़ाते हुए और भी कुछ दोहों को सम्मिलित करेंगे। आप उन दोहों को mp3 में सुन भी सकते हैं।
Play 👇 Rahim ke dohe "बड़े बड़ाई ना करे, बड़े बोले ना बोल" here.
रहीम के दोहे words
बड़े बड़ाई ना करे, बड़े बोले ना बोल,
रहिमन हीरा कब कहे लाख टका मेरा मोल रहीमा,
लाख टका मेरा मोल।
जो बड़ेन को लघु कहे, नहीं रहीम घट जाये,
गिरिधर मुरलीधर कहे, कछु दुःख पावत नाही रहीमा,
कछु दुःख पावत नाही।
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय,
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाए रहीमा,
जुड़े गाँठ पड़ जाए।
निज कर क्रिया रहीम कही, सुधि भावी के हाथ,
पांसे अपने हाथ में, दांव ना अपने हाथ रहीमा,
दांव ना अपने हाथ।
करमहीन रहीमन लखो, धँसों बड़े घर चोर,
चिंतत ही बड़े नाम के, जागत है वो भोर रहीमा,
जागत है वो भोर।
कान्ह कामरी तामरी, जाड़ गए से काज,
रहीमन भूख बुझाइये, कैसों मिले अनाज रहीमा,
कैसों मिले अनाज।
रहीमन प्रीति सराहिये, मिले होत रंग दून,
जो जरदी हरदी तजे, तजे सफेदी जून रहीमा,
तजे सफेदी जून।
तादुर मोर किसान मन, लग्यो रहे घनमाहि,
रहीमन चातक रटी निहुँ, सरवर को कछु नाहिं रहीमा,
सरवर को कछु नाहिं।
रहीमन प्रीति न कीजिये, जस खीरा ने कीन,
ऊपर से तो दिल मिला, भीतर भाँके तीन रहीमा,
भीतर भाँके तीन।
नात नेह दूरी भली, तो रहीम जिए जानी,
निकट निरादर होत है, जो गड़ही को पानी रहीमा,
जो गड़ही को पानी।
अंतर आग लगी रहे, धुंआ ना प्रगटे सोये,
कै जिए जाने आपनो, बांसर बीती होये रहीमा,
बांसर बीती होये।
हित रहीम इत उ करे, जाकी जीत बिसात,
नहीं यह रहे न वह रहे, तू है कहन को पांच रहीमा,
तू है कहन को पांच।
रहीमन चुप होये बैठिये, देखि दीनन को फेर,
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर रहीमा,
बनत न लगिहैं देर।
रहीमन निज मन की व्यथा, मन ही राखौ दोय,
सुनी अठिलैहैं लोग सब, बांटी न लइहें कोय रहीमा,
बांटी न लइहें कोय।
रहीमन ओछे नरन सो, बैर भलो न प्रीत,
कांटे चांटे सान के, दोउ भात विपरीत रहीमा,
दोउ भात विपरीत।
क्षमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात,
का रहीम हरी को जपो, जो भृगु मारी लात रहीमा,
जो भृगु मारी लात।
रहीमन वे नर मर चुके, जे कहु माँगन जाहि,
उनके पहले वे मुये, जिन मुख निक सत नाही रहीमा,
जिन मुख निक सत नाही।
रहीमन तहाँ न जाइये, जहाँ कपट को हेतु,
हम तन धारत ढेकुली, सिंचित अपनों खेत रहीमा,
सिंचित अपनों खेत।
खीरा सिर पे काटिये, मलियत नमक बनाय,
रहीमन कड़ुए मुख को, चहियत ही है सजाय रहीमा,
चहियत ही है सजाय।
अरज गरज माने नहीं, रहीमन ए जन चारि,
रनिया राजा मांगता, काम आतुरी नारी रहीमा,
काम आतुरी नारी।
पावस देखि रहीम मन, कोई न साधे मौन,
अब दादुर वक्ता भये, हमको पूछत कौन रहीमा,
हमको पूछत कौन।
जो मर जाद चली सदा, सोई से ठहराए,
जो जल उमरै पार ते, सो रहीम बह जाये रहीमा,
सो रहीम बह जाये।
अमिय पियावत मान बिनु, रहीमन मोहि न सुहाए,
मान सहित मरिबो भलो, जो विष देइ बुलाय रहीमा,
जो विष देइ बुलाय।
अनुचित वचन न मानिये, जग पीगुराई सुगाढ़ि,
ऐ रहीम नगु नाथ ते, सुजस भरत को बाढ़ि रहीमा,
सुजस भारत को बाढ़ि।
Also, listen कबीर के दोहे.
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