साईं बाबा व्रत कथा (हिंदी में)
पिछले पोस्ट में साईं व्रत के नियम, पूजा विधि और उद्यापन के बारे में बताया गया है और यह भी उल्लेखित किया है कि इस व्रत में साईं कथा का पाठ किया जाता है। तो आइये हम यहाँ साईं कथा का पाठ करते हैं और साईं व्रत को सफल करते हैं।
साईं व्रत कथा 1
कोकिलाबाई और उनके पति महेशराव शहर में रहते थे। उनके बीच सब ठीक था लेकिन महेश राव काफी झगड़ालू किस्म के थे और अपनी जुबान पर काबू नहीं रख पाते थे। पड़ोसी भी इस वजह से उनसे तंग आ चुके थे। कोकिलाबाई एक धर्मपरायण महिला थीं। ईश्वर में उनकी अटूट आस्था थी। वह चुपचाप यह सब सहती रही। धीरे धीरे उनके पति का धंधा बैठने लगा, कमाई होती नहीं थी और इससे उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया था।
एक दिन दोपहर के समय एक बूढ़े साधु महाराज उनके द्वार पर आए। उनके चेहरे पर तेज था। उन्होंने दाल-चावल मांगा। कोकिलाबाई ने दाल और चावल साधु को अर्पित किये और दोनों हाथों से प्रणाम किया। साधु ने कहा "साईं सदैव खुश रखें" कोकिलाबाई ने कहा, "महाराज, सुख तो भाग्य में ही नहीं है" और फिर अपना दुख व्यक्त किया।
महाराज ने श्रीसाईं बाबा के व्रत की जानकारी दी। व्रत के नियम, पूजा विधि और उद्यापन के बारे में बताया। साधु ने बताया ये साईं व्रत बहुत ही चमत्कारी व्रत है जिससे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी लेकिन साईं में आस्था रखना आवश्यक है। जो लोगों को साईं कथा की पुस्तकें बांटकर साईं की महिमा का प्रसार करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
साईं बाबा की आरती सुनें।
कोकिलाबाई ने भी साईं व्रत करने का निर्णय लिया। 9वें गुरुवार को उद्यापन किया, गरीबों को भोजन कराया गया और साईं व्रत कथा की पुस्तकें भी बाँटी। उनके घर का झगड़ा सुलझ गया और घर में सुख-शांति आ गयी। महेशराव का स्वभाव काफी बदल गया। धंधा जोर-शोर से शुरू हुआ और कुछ ही दिनों में सुख-समृद्धि में वृद्धि हुई। दोनों खुशी-खुशी रहने लगे।
एक दिन कोकिलाबाई की जेठानी सूरत से आई। जेठानी ने कहा कि बच्चे पढ़ाई नहीं करते जिससे वे परीक्षा में असफल होते हैं। कोकिलाबाई ने साईं के नौ गुरुवार व्रत के बारे में उन्हें बताया। कोकिलाबाई ने कहा साईं बाबा पर विश्वास करो वो सबकी मदद करते हैं और साईं व्रत से बच्चों की पढ़ाई में उन्नति होगी, इसके लिए उन्हें आश्वस्त किया। उनकी जेठानी ने व्रत के बारे में सारी जानकारी मांगी।
कोकिलाबाई ने संपूर्ण जानकारी देते हुए कहा- 9 गुरुवार को फल और मिठाई खाकर या फिर एक बार का भोजन करके यह व्रत कर सकते हैं। हो सके तो साईं बाबा के मंदिर में दर्शन के लिए जाएं। यह व्रत कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह महिला हो, पुरुष हो या बच्चा हो। 9वें गुरुवार को गरीबों को भोजन कराएं। पड़ोसियों, रिश्तेदारों को साईं व्रत कथा की किताबें दी जा सकती हैं। पूरे ९ गुरुवार को साईं की पूजा करें। पीले फूल चढ़ाएं, दीपक और अगरबत्ती जलाएं। साईं का स्मरण करें। प्रसाद चढ़ाएं, आरती करें। साईं व्रत की कथा कहें या फिर सुने।
जेठानी के सूरत जाने के कुछ दिनों बाद, कोकिलाबाई को एक पत्र मिला जिसमें लिखा था कि उनके बच्चे भी अब साईं व्रत करते हैं और बहोत अच्छे से पढ़ाई कर रहे हैं। हे साईंराम जैसे अपने कोकिलाबाई की मुसीबतों को हर लिया वैसे ही हम सब पर भी अपनी कृपा बनाये रखो भगवान।
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साईं व्रत कथा 2
साईं व्रत कथा साईंभक्त की ज़ुबानी "घुटने का दर्द हमेशा के लिए ख़त्म हो गया"
फ्रैक्चर की वजह से मेरे घुटनों में दर्द था। डॉक्टर से ऑपरेशन की सलाह दी थी पर मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया। दस दिन हो चुके थे, मैं दवाई तो ले रहा था पर उससे कोई फर्क नहीं पड़ा। दर्द वैसे का वैसा ही था। यह सब असह्य था। छुट्टी में सब लोग शिर्डी जा रहे थे और वहीं से राजस्थान जाने वाले थे पर मेरा जाना संभव नहीं था। घुटनों में भयंकर दर्द था।
मेरे एक मित्र ने साईं के ९ गुरुवार व्रत का महत्व मुझे बताया और फिर मेरी भी इच्छा हुई इसे करने की। उस दिन स्कूटर पर बैठ के मैं साईं बाबा के दर्शन के लिए गया। मैंने साईं से प्रार्थना की कि कल मुझे शिर्डी दर्शन के लिए आना है और राजस्थान भी जाना है सबके साथ पर इस घुटने के दर्द के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा। अगर आप मुझे इस दर्द से मुक्ति दिला दें तो मैं ९ गुरुवार व्रत करूँगा।
फिर चमत्कार हुआ और ऐसा चमत्कार मैंने अपनी ज़िंदगी में नहीं देखा था। मंदिर के बाहर आते ही मेरे घुटनों का दर्द गायब। मैं अच्छे से चलने लगा था, घर में सब आश्चर्यचकित थे। साईकृपा से मैं अगले १५ दिन शिर्डी राजस्थान सब जगह घुमा फिरा पर दुःख दर्द का नाम नहीं।
ॐ श्री साईनाथाय नमः।
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